विज्ञान : एक विषय या एक भाषा

By Unknown - December 03, 2016

ये दुनिया प्रगतिशील है , और विरोधाभास यहाँ कहीं न कहीं एक पर्याय है। विज्ञान ने हमें बहुत कुछ दिया है हमारे जीवन की बेहतरी के लिए , फिर भी कभी ये वरदान है तो कभी अभिशाप, और कई बार इसपे चर्चाएँ होती रहती है । और इसमें कोई राय नहीं कि जग इसका समर्थक भी  है , और इसका एक खेमा आलोचक भी। आज हर कोई कहीं न कहीं विश्व की जटिल समस्याओं का समाधान वैज्ञानिक तरीकों से ढूँढना चाहता है , किन्तु ये तय नहीं कर पा रहा है कि विज्ञान को कोई विषय माना जाए या संवाद का तरीका। आज हमारे समाज में धीरे ही सही लेकिन वैज्ञानिक चेतना बढ़ रही है, हम अपने बच्चों को जब विषय का चुनाव करना होता है तो कहते हैं विज्ञान ले लो।  पर क्या विज्ञान को लेके परीक्षा पास करने तक इसे एक विषय मात्र समझना चाहिए या जिंदगी, प्रकृति से संवाद करने का तरीका , ये सोचने योग्य है। एक उदाहरण स्वरुप , आज हम मंगल पर पहुँच गए है , मंगल के बारे में जो हम जान रहे है, जो भी जानकारी हमे मिल रही है उनके बारे में , जो भी रहस्य वो खुद के बता रहे हैं , कहीं न कहीं ये तो आप भी मानेंगे कि ये संवाद जिस भाषा में हो रही है वो विज्ञान है। तो प्रश्न ये है कि क्या हम मान लें विज्ञान एक भाषा है , रहस्यों से बात करने का , किसी समस्या के समाधान करने का , प्रकृति से संवाद करने का , माने या ना माने इस पर भी हम दो खेमे में बँट जायेंगे। यही हमारी समस्या भी है और यही समाधान भी। 

 

तो आप समस्या हैं  या समाधान ?  

आपके सुझाव और विचार सादर आमंत्रित है  "Promote Science" के मंच पर।  आइये बढ़े एक वैज्ञानिक भारत की ओर !

जय विज्ञान , जय भारत !


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1 comments

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